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जलने पर क्या करना चाहिए jalne par kya krna chahiye in hindi

 जलने पर क्या करना चाहिए jalne par kya krna chahiye in hindi जलन तब होती है जब आपकी त्वचा बहुत अधिक गर्मी, धूप, रसायनों या बिजली से आहत हो जाती है। वे छोटी  समस्याएँ या बहुत खतरनाक हो सकती हैं। जलने पर तुरंत राहत पाने के उपाय jalne par turnt rahat pane ke upay in hindi जलने का इलाज कैसे किया जाता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे शरीर पर कहाँ होते हैं और कितने बुरे  हैं। यदि आप धूप से झुलस गए हैं या किसी गर्म चीज़ से मामूली जल गए हैं, तो आप आमतौर पर घर पर ही इसकी  देखभाल कर सकते हैं। लेकिन अगर जला अधिक गहरा हो जाए या बड़ा क्षेत्र घेर ले, तो आपको तुरंत डॉक्टर के  पास जाने की जरूरत है। कुछ जले हुए घाव वास्तव में गंभीर होते हैं और जलने के लिए विशेष अस्पताल में विशेष  देखभाल की आवश्यकता होती है। और प्रारंभिक उपचार के बाद भी, इसे पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय  लग सकता है और नियमित जांच की आवश्यकता होती है। जलन के लक्षण jalne ke lakchhan in hindi जब आप जल जाते हैं, तो यह कैसा दिखता और महसूस होता है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यह कितना बुरा  है। कभी-कभी, गंभीर जलन के लक्षण दिखने में

तेज खुश्क खाशी दो दिन में ठीक , निमोनिया उपचार एवं औषधि Treatment of dry couth and pneumoniya

 तेज खुश्क खाशी दो दिन में ठीक sukhi khasi nimoniya in hindi

औषधी - तुलसी  


उपयोग 

5 तुलसी के पत्ते ,     5 काली मिर्च ,      5  नग काला मुन्नका ,     6 ग्राम चोकर ( गेहूं के आटे का छान ),      6 ग्राम

 मुलहटी ,     3 ग्राम बनफशा के फूल लेकर     200 ग्राम पानी में उबाले।    100 ग्राम रहने पर ठंडा कर छान ले। फिर

 गर्म करे और बताशे डालकर रात सोते समय गरम गरम पी जाये। पीने के बाद ऑड कर सो जाये तथा हवा से बचे।

आवश्यकतानुसार 3 - 4  दिन लें। कैसी भी खुश्क खाशी हो ,ठीक हो जाएगी।  

अनुभव - यह श्री कुंजी लाल जैन, नई दिल्ली दुवरा स्वानुभूत प्रयोग है। उन्होंने मुझे बातया की  "मेरी कई दिंनो से बेहद

 परेशान करने वाले भयंकर खुश्क खासी उपरोक्त प्रयोग से दो तीन दिनों में ही बिलकुल हुई है।



निमोनिया   Health tips in hindi


निमोनिया फेफड़ो के संक्रमण के बीमारी है।


रोगजनक 

निमोनिया एक जीवाणु जनित रोग है  जो की स्ट्रेप्टोकोकस न्युमोनी  ( streptococcus pneumonae ) एवं   

 हिमोफिलस इन्फ्लुएन्ज़ा ( Haemophilus influenzae ) नामक जीवाणु के संक्रण से होता है। ये जीवाणु फेफङो

 की कुपिकाओं (Alveoli) को संक्रमित करते है।


लक्षण( Symptoms ) -

 (1)   इस रोग में फेफड़ो के एल्विओलाई ( Alveoli ) में एक  तरल भरा जाता  है।

       जिसके कारण साँस लेने में  अत्यधिक कठिन होती है यह रोग प्रायः बच्चो में होता है  कभी कभी  बड़ो में भी          हो  जाता है।

(2)   बुखार आना शरीर  का अचानक ठंडा हो जाना। 

(3)   सीने में कप जमा हो  जाना, सीने में दर्द होना,  काफी समय श्लेष्मि बलगम के साथ जुकाम तथा तेज व गहरी         साँस लेना।

(4)   रोग की प्रचन्ड अधिक होने पर होंठ एवं उंगलियों के नाख़ून स्लेटी से  नीले  रंग के हो जाते है।

(5)   उदर का फूलना।

(6)   खून के रंग का बलगम निकलना।


संक्रमण काल (Incubation period) - इस रोग के रोगजनक का संक्रमण काल  प्रायः 1 से 3 दिनों का का                                                                         होता है।


उपचार (Treatment) - निमोनिया एक जानलेवा/ घातक रोग है अतः समय पर इसका उपचार करना अति

                                         आवश्यक हो जाता है। इस रोग के उपचार के लिए एरीथ्रोमाइसिन, ट्रेटासाइक्लीन एवं  

                                          सल्फनेमाइड जैसे प्रतिजैविक औषधि उपयोग में लाई जाती  है।     

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