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जलने पर क्या करना चाहिए jalne par kya krna chahiye in hindi

 जलने पर क्या करना चाहिए jalne par kya krna chahiye in hindi जलन तब होती है जब आपकी त्वचा बहुत अधिक गर्मी, धूप, रसायनों या बिजली से आहत हो जाती है। वे छोटी  समस्याएँ या बहुत खतरनाक हो सकती हैं। जलने पर तुरंत राहत पाने के उपाय jalne par turnt rahat pane ke upay in hindi जलने का इलाज कैसे किया जाता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे शरीर पर कहाँ होते हैं और कितने बुरे  हैं। यदि आप धूप से झुलस गए हैं या किसी गर्म चीज़ से मामूली जल गए हैं, तो आप आमतौर पर घर पर ही इसकी  देखभाल कर सकते हैं। लेकिन अगर जला अधिक गहरा हो जाए या बड़ा क्षेत्र घेर ले, तो आपको तुरंत डॉक्टर के  पास जाने की जरूरत है। कुछ जले हुए घाव वास्तव में गंभीर होते हैं और जलने के लिए विशेष अस्पताल में विशेष  देखभाल की आवश्यकता होती है। और प्रारंभिक उपचार के बाद भी, इसे पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय  लग सकता है और नियमित जांच की आवश्यकता होती है। जलन के लक्षण jalne ke lakchhan in hindi जब आप जल जाते हैं, तो यह कैसा दिखता और महसूस होता है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि यह कितना बुरा  है। कभी-कभी, गंभीर जलन के लक्षण दिखने में

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अस्थमा(asthma in hindi),पीलिया(piliya in hindi),खासी(khasi in hindi), याददास्त(yaddast in hindi),अनिद्रा(anidra in hindi), उपचार और औषधि

  अस्थमा (asthma  in hindi ) पीलिया (piliya  in hindi ) खासी (khasi  in hindi ) औषधि - अडूसा (यह एक झाड़ीदार बहुवर्षीय पौधा है) (1) अस्थमा का उपचार 1. अस्थमा में अडूसा के पत्तों का रस अथवा पत्तों का काढ़ा दिन में दो बार एक से तीन महीने लेने से लाभ होता है। खासी में भी पत्तो का काढ़ा पीना लाभकारी हैं। (2) पीलिया का उपचार 1. अडूसा के पत्तों का रस एक चौथाई कप दिन में दो बार लेने से पोलियो से राहत देता हैं। (3) कप का उपचार  1. अडूसा छाल का चूर्ण लेने से कप में राहत देता हैं। याददास्त (yaddast  in hindi ) अनिद्रा (anidra  in hindi )      औषधि - ब्राम्ही     (ब्राम्ही एक वर्षीय जमीन पर फैलने वाला शाकीय पौधा हैं।) याददस्त का उपचार 1. याददस्त के लिए इसका एक चौथाई चम्मच चूर्ण शहद या गाय के दूध के साथ 40 दिनों तक लेने से लाभ मिलता हैं। अनिद्रा का उपचार 1. नींद नही आने पर ब्राम्ही के सूखे पत्तों का चूर्ण 3 ग्राम गाय के दूध के साथ लेने पर अनिद्रा ठीक हो जाति हैं।

वात रोग vat rog in hindi, कप kaf rog in hindi , गठिया रोग gathiya rog in hindi , बुखार bukhar in hindi, खासी khasi in hindi, मधुमेह madhumeh in hindi, पेट दर्द pet dard in hindi का उपचार और औषधि

  वात रोग  vat rog in hindi  कप kaf  rog in hindi     गठिया रोग gathiya  rog in hindi   औषधि - गिलोय ( गिलोय एक बेल प्रजाति है जो वृक्षों की सहायता से बढ़ती रहती है । ) (1) वात रोग उपचार * घी के साथ गिलोय का सेवन करने से वात रोग नस्ट हो जाता हैं। (2) कप का उपचार  * शहद के साथ गिलोय का सेवन करने से कप की शिकायत दूर हो जाती है। (3) गठिया रोग का उपचार   * सोठ के साथ गिलोय का उपयोग करने से गठिया रोग ठीक हो जाति है। * रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता हैं। बुखार bukhar  in hindi  खासी khasi  in hindi मधुमेह  madhumeh in hindi  पेट दर्द pet dard  in hindi     औषधि - गुड़मार ( यह एक बहुवर्षीय लता प्रजाति है। ) (1) बुखार और खासी का उपचार * बुखार और खासी में जड़ का काढ़ा दिन में दो बार 3 से 5 दिनों तक लेने से आराम मिलता है। (2) मधुमेह का उपचार * मधुमेह में गुड़मार के सुखी पत्ती का चूर्ण आधा चम्मच रोज तीन महीने तक पानी के साथ लेने से लाभ करता है। (3) पेट दर्द का उपचार * पेट के कीड़ों के लिए गुड़मार की छाल का काढ़ा दो दो चम्मच दिन में दो बार पीने से असर करता हैं।

बीमारियों के प्रकार Types of diseases

  बीमारियों के प्रकार Bimariyo ke prakar in hindi बीमारियों को उसकी प्रकृति तथा कारणों के आधार पर दो वर्गों में बांटा गया है - (A) जन्मजात रोग तथा  (B) उपार्जित रोग   (A) जन्मजात रोग उदाहरण -1. हँसियाकर रक्ताल्पता                     2. हिमोफिलिया, मधुमेह                     3. फेनिलकीटोन्यूरिया  (B) उपार्जित रोग - (1) संक्रामक या संसर्ग (2) असंक्रामक या असंसग्रात्मक रोग  (1) संक्रामक या संसर्ग -1.प्रोटोजोअन रोग  2.हेल्मिन्थ रोग   3.जीवाणुजनित   4.विषाणुजनित   5.कवकजनित रोग       (2) असंक्रामक या असंसर्गात्माक रोग - 1. लोपनीय रोग   2. अल्पता रोग   3. एलर्जी   4. कैंसर   5. आनुवंशिक  रोग   6. सामजिक या दुर्व्यसनी रोग   7. यांत्रिक रोग  (A) जन्मजात रोग (Congenital diseases ) --- वे रोग है, जो जीव में जन्म से ही रहते है ये                                                                                        रोग विकाषीय या उपापचयी अनीयमितता के कारण पैदा होती है । (B) उपार्जित रोग (Aquired diseases) --- वे रोग है, जो जीवों में जन्म के बाद विभिन्न